सीमा जागरण मंच मुखपत्र सीमा संघोष देश की सीमाओं के प्रति, सीमा प्रहरियों के प्रति, सीमान्त क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के प्रति आम जनमानस में एक आदर और सत्कार का भाव जगाने का एक प्रयास है।

ज्ञेय

देश की सीमा माता के वस्त्र के समान होती है
एवं उसकी रक्षा करना पुत्र का प्रथम कर्तव्य है।
– पितामह भीष्म

सीमा अध्ययन संस्थान

सीमाएं, राष्ट्र के अस्तित्व की प्रथम परिचायक हैं। मानचित्र किसी राष्ट्रराज्य के वस्तुगत स्थिति को दर्शाते हैं, जिनका चित्रण बिना सीमारेखाओं के संभव ही नहीं है। ये सीमाएं लेकिन कागज पर उकेरी कुछ लकीरें भर नहीं हैं, ये जीवंत हैं। इनपर सीमांत देशवासी बसते हैं, अपनी संस्कृति सहेजते हैं, नाना चुनौतियों से दैनंदिन निपटते हैं और राष्ट्र की सुरक्षा में योग करते हैं। सीमा अध्ययन संस्थान, भारतवर्ष की वैविध्य से पूर्ण सीमाओं की सम्पूर्ण सुरक्षा के संगत उपाय एवं सीमांत नागरिकों के सर्वांगीण विकास के पथ की चुनौतियों के उपयुक्त निदान की दिशा में आवश्यक शोध के लिए संकल्पित है।

सीमा अध्ययन संस्थान के निर्देशक तत्व

  • सीमा रक्षा से सीमा सुरक्षा और सीमा सुरक्षा से सीमा प्रबंधन की संकल्पना को अंगीकृत करना।
  • सीमा अवसंरचना विकास एवं सीमांत नागरिकों के विकास के अन्योन्याश्रित संबंध को समझना।
  • सीमा नागरिकों को सीमा प्रहरी के रूप में जागृत करना।
  • स्थलीय एवं सागरीय सीमाओं का उनके विविधता के साथ अध्ययन।
  • सीमा संबंधी विषयों का मुख्यधारा माध्यम में प्रकाशन।
  • संगत सीमा शोध से सामयिक नीतिगत हस्तक्षेप।
  • सीमा अध्ययन का राष्ट्रव्यापी एकीकृत स्वरूप विकसित करना।

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